पटना Live डेस्क। अमूमन हम सभी ने जंगल बुक के मोगली के बाबत सुना या पढा जरूर है। टीवी ने मोगली
नामक इस काल्पनिक किरदार को घर घर पहुचाया है। लेकिन यूपी के बहराइच के जंगल मे यह काल्पनिक किरदार हकीकत पुलिस को मिला है बस अंतर सिर्फ ये है कि ये मोगली गर्ल है और काल्पनिक किरदार लड़का है। जो जंगली जानवरों के बीच मौजूद रहता है।
यूपी के बहराइच के जंगल में पुलिस को बच्ची मिली है। पुलिस कर्मियों के मुताबिक बच्ची जानवरों की तरह व्यवहार कर रही है। साथ ही साथ बंदरों के माफिक वही आवाज भी निकाल रही है। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस को रात्रि गश्त के दौरान यह बच्ची मिली है। बच्ची जानवरों के बीच रह रही थी।पुलिस ने बच्ची को बंदरों के बीच से निकालकर अस्पताल पहुंचाया है। जहां उसका इलाज चल रहा है।
आपको बता दें कि करीब तीन माह पहले इसे कतर्नियाघाट के जंगलों में लकड़ी बीनने वालों ने इस बच्ची को देखा था।बच्ची के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था लेकिन वह इस सबसे बेफिक्र थी। लकड़हारे इसके पास गए तो बंदरों ने बच्ची को घेरे में ले लिया और किसी को पास नहीं फटकने दिया। कतर्नियाघाट वन्य जीव क्षेत्र के मोतीपुर रेंज में इसके बाद वह कई बार देखी गई। बताते हैं कि बच्ची चोट लगने की वजह से अस्वस्थ लग रही थी।इस बच्ची के करीब जाने की कोशिश करने पर बंदरों का झुंड ग्रामीणों पर हमलावर हो जाता।बात जैसे-तैसे आस पास के गांवों में फैल गई। दर्जनों बंदर घने जंगल में उसकी निगरानी कुछ इस तरह करते थे, जैसे बालिका उनके परिवार की एक सदस्य हो।
इसकी सूचना मोतीपुर पुलिस को दी गई। इस पर पुलिस बताए गए स्थान पर जंगल में पहुंची लेकिन बालिका नहीं दिखाई पड़ी। 20 जनवरी की रात यूपी 100 की टीम रात्रि गश्त के दौरान जंगल से गुजर रही थी कि अचानक उसे यह बालिका बंदरों के बीच दिखी। कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस जवानों ने बालिका को बंदरों के बीच से निकालकर गाड़ी में बैठाया। जख्मी बालिका को एसआइ सुरेश यादव ने मिहीपुरवा सीएचसी में भर्ती कराया। हालत में सुधार न होने पर 25 जनवरी को बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया।धीरे-धीरे बच्ची की हालत में सुधार आया।
इस बाबत मोतीपुर एसओ राम अवतार यादव ने बताया कि लड़की जंगल में नग्न अवस्था में बंदरों के साथ पाई गई थी।इस दौरान बाल और नाखून बढ़े हुए थे। शरीर पर कई जगह जख्म भी थे। बालिका की उम्र लगभग 8 वर्ष है। बालिका न बोल पाती है और न ही लोगों की बात समझ पाती है।
लंबे अरसे तक जंगल में बंदरों के बीच रहने से इस बच्ची का व्यवहार भी बंदरों की तरह हो गया है। ये बच्ची लोगों को देखकर बंदरों की तरह गुर्राने लगती है, बच्ची के हाव-भाव भी बंदरों जैसे ही है। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा खाना देने पर थाली से नीचे गिरा देती है और बेड पर बिखेर कर खाना खाती है।।
इलाजरत बच्ची के बाबत सीएमएस जिला अस्पताल बहराइच डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अस्पताल में बालिका डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है, जिसकी वजह से इलाज में डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
6 अप्रैल 2017
बहराइच के जंगल मे मिली "मोगली गर्ल" जैसी बच्ची
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