1 मार्च 2017

देश में स्थापित शांति का माहौल बिगाड़ रही है चरमपंथी संगठनें -बेदारी कारवाँ

# साक्षी महाराज का मानसिक इलाज जरूरी
# आरएसएसऔर एबीवीपी पर प्रतिबंध लगा देना  चाहिए

पटना Live डेस्क। भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहाँ के वातावरण में लगातार जहर घोलने वाली भाजपा की चुप्पी और सांप्रदायिक ताकतों को मिल रहे समर्थन से देश में स्थापित शांति को खतरा है। जब से देश में भाजपा की सरकार बनी है तब से ऐसा लगने लगा है कि यह सरकार देश के पक्ष में सोचने के बजाय किसी खास समुदाय को मजबूत करने और देश के अमन व अमान के वातावरण में जहर घोलने के अलावे दूसरा कोई काम नहीं कर रही है। इस सरकार में फर्जी इन्काउंटर, आतंकवाद के नाम पर मुस्लिम युवकों की गैर कानूनी गिरफतारी, मुस्लिम नेतृत्व को खत्म करना और मुस्लिम युवकों की हत्या कराना एक आम बात हो गई है।
                          नजीब के लापता होने और भोपाल फर्जी इन्काउंटर इसके ताजा उदाहरण है। मुसलमानों को एक साथ मिलकर इस लड़ाई से निपटना होगा। सिर्फ अपनी दुकानदारी से चलाने से काम नहीं चलेगा। उक्त बातें ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ के राष्ट्रीय अध्यक्ष नजरे आलम ने एक प्रेस बयान में कही है।
                             आलम ने  अपनी बातों को विस्तार देते हुए आगे कहा कि भाजपा की सरकार जब से देश में आई है। तब से जितने भी चरमपंथी संगठन है और  फ़िकरापरस्त नेता हैं उनकी जुबान कुछ ज्यादा ही तेज चलने लगी है। आजादी से लेकर आज तक देश को तोड़ने और कमजोर करने वाले चरमपंथी संगठन आरएसएस और इसका छात्र विंग एबीवीपी लगातार देश की जनता और विशेष धर्मों के लोगों पर जुल्म ढ़ा रही है। हद तो देखिए देश की खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टिया और नेताओं की जुबान पर भी ताले लगे हुए है।कोई भी तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियाँ और नेता इन चरमपंथी संगठनों और सांप्रदायिक नेताओं के खिलाफ बोलने तक को तैयार नहीं है। लेकिन चुनाव आते ही सबसे अधिक महत्व हमारी जाती का हो जाता है इस पर हमें जल्द सोचना होगा और एकजुट होकर एक नया विकल्प बनाना होगा।
                             आलम ने भाजपा के पागल नेता साक्षी महाराज द्वारा दिए गए बयान कि ‘‘मुसलमानों को दफनाना नहीं चाहिए उन्हें दफनाने के चक्कर में जमीन का दुरुपयोग होता है’’ पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि भाजपा अपने पागल नेताओं का मानसिक इलाज जल्द से जल्द कराए। भारत साक्षी महाराज के बाप का देश नहीं है। मुसलमानों ने इस देश को आजाद कराने में सबसे अधिक कुर्बानियाँ दी हैं। मुसलमानों को देश में कमजोर न समझा जाए। मुसलमानों का अपना एक इतिहास रहा है। जिसे भी मुसलमानों ने समर्थन दिया है वह भी देश की जनता ने देखा है और इसे नजरअंदाज कर दिया है उसका भी हश्र यहाँ की जनता बखूबी देख चुकी है। इसलिए अगर देश की भलाई और देश के पक्ष में खुद को धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियाँ और नेता जरा भी सोचते समझते हैं तो वे मुसलमानों के साथ हो रही साजिश का खुलकर सामना करें।
                        सत्य और न्याय की आवाज बुलंद करें वरना तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों और नेताओं से भी मुसलमानों का विश्वास तो उठता ही जा रहा है।।आगे चलकर पूरी तरह से विश्वास समाप्त हो जाएगा तो मुसलमान अपना एक विकल्प मजबूती के साथ खड़ा करने को मजबूर होगा। नजरे आलम ने कहा कि आज हमारे मुस्लिम नेता भी चुप्पी साधे हुए हैं। उन्हें लगता है कि जिस पार्टी के वे नेता हैं वही उनका सबकुछ है। तो वो ऐसा नहीं है उन्हें भी सोचना होगा वरना अगले चुनाव में उन्हें भी ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ सबक सिखाने की तैयारी में है।
                        साथ ही आलम ने केंद्र सरकार और खुद को तथाकथित धर्मनिरपेक्ष कहने वाली पार्टियों से अपील करते हुए कहा कि अगर देश में शांति व अमन बना रहे तो इसके लिए आरएसएस, एबीवीपी और साक्षी महाराज जैसे लोगों पर लगाम लगाना होगा साथ ही सभी चरमपंथी संगठनों पर अविलम्ब प्रतिबन्ध लगाना होगा तभी देश बच पाएगा और लोकतांत्रिक देश कहलाएगा। वरना वह दिन दूर नहीं कि इस देश को बंटने से कोई रोक नहीं सकता। मुसलमानों के पास भी कई रास्ते हैं यदि कोई राजनीतिक दल हमें कमजोर और असहाय समझ रही है तो यह बड़ी भूल है।

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