8 मार्च 2017

शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करवाकर तिहाड़ भेजने में लालू प्रसाद की अहम भूमिका: नजरे आलम

# नीतीश कुमार को लालू ने किया इस्तेमाल
# बेटों को नेता बनाने के लिए लालू ने शहाब के साथ किया धोखा: बेदारी कारवाँ

पटना Live डेस्क। 11 साल से जेल की सलाखों के पीछे कैद रहने के बाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत के बाद जेल से बाहर आए सिवान के विकास पुरूष पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन ने आखिर ऐसा किया कह दिया कि उनको दोबारा जेल जाना पड़ा वह भी बिहार से तिहाड़। सोचने का विषय है कि जो आदमी 11 साल की सजा काट कर बाहर आया हो उसे इतनी जल्दी क्यों सलाखों के पीछे धकेल दिया गया ?इसके साज़िश के असल मास्टरमाइंड लालू प्रसाद यादव है। शहाब ने सिर्फ लालू यादव को अपना नेता बोल कर गुनाह किया क्योंकि लालू प्रसाद यादव अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी राजनीति अब पूरी तरह से समाप्त हो चुकी है। इसलिए बेटों को मैदान में लाना होगा और अगर शहाब बाहर रहे तो उनकी पार्टी में उनसे बड़ा विकास पुरूष एवं अवाम का नेता कोई और नहीं हो सकता। इसलिए उन्होंने अपने बेटों की कुर्सी बचाने के लिए शहाब के साथ धोखा किया औऱ साजिशन सिवान से तिहाड़ भिजवा दिया है।
                         इस साजिश में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी लालू प्रसाद यादव ने इस्तेमाल कर लिया है। लालू प्रसाद यादव वहीं शख्स है जिसने कभी शहाब की नैया पर बैठ कर अपनी सियासत को चमकाया था। आज जब वही शहाब 11 साल बाद उच्च न्यायालय से मिली जमानत पर रिहा होकर लौटे तो उन्हें दोबारा सलाखों के पीछे धकेलने वाला कोई और नहीं सिर्फ और सिर्फ लालू प्रसाद यादव है।अगर वाकई लालू प्रसाद यादव ईमानदार होते तो क्या शहाब पुनः जेल जाते?आखिर शहाबुद्दीन ने जेल से बाहर आकर ऐसा क्या बोल दिया जिसकी उनकों इतनी बड़ी सजा दी गई। शहाब ने तो महज यही तो कहा था कि ’’नीतीश कुमार हमारे नेता नहीं हैं लालू प्रसाद यादव हमारे नेता हैं’’। ये भी बयान लालू प्रसाद यादव के इशारे पर शहाब द्वारा दिया गया। लेकिन लालू प्रसाद यादव ने शहाब के साथ बड़ा धोखा किया और नीतीश कुमार को अपना मोहरा बनाकर शहाब को तिहाड़ भेजवाने का काम किया है।
                        साजिशन राजद के राज्यसभा सदस्य सह नामचीन वकील रामजेठ मलानी को भी शहाब के मामले में केस की पैरवी व बहस नहीं करने का आदेश देने वाला कोई और नहीं लालू प्रसाद ही है। लेकिन लालू प्रसाद यादव यह क्यों भूल गए हैं बिहार में अब उनका जंगलराज नहीं चलेगा। बेटों को नेता बनाने के चक्कर में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को बौना एवं बधुआ मजदूर बनाकर अब अधिक दिनों तक सियासत नहीं कर सकेंगे।
                      बिहार के मुस्लिम समुदाय में शहाब को बिहार से तिहाड़ भेजे जाने के कारण काफी आक्रोश है। बीतते वक्त के साथ यह आक्रोश का लावा बढ़ता ही जा रहा है। यही कारण है कि बिहार के मुस्लिम समुदाय इस मामले को लेकर होली के बाद सड़कों पर उतरने की तैयारी में हैं। बिहार में अगर किसी ने मुसलमानों का शोषण किया है तो उसमें लालू प्रसाद यादव की अहम भूमिका है।लालू प्रसाद की अवसरवादिता और यूज़ एंड थ्रो की सियासत अब आखरी सांसें गिन रही है।अगर अब भी इन्होंने आँखें नहीं खोली और शहाब को जेल से बाहर लाने की प्रक्रिया तेज नहीं किया साथ ही  मुसलमानों के उत्थान और विकास कार्य को तेजी से आगे नहीं बढ़ाया और मुस्लिम नेताओं को सम्मान नहीं दिया तो अगली सरकार और अपने बेटा को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देखना छोड़ दें।
                         आॅल इण्डिया मुस्लिम बेदारी कारवाँ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से माँग करता है कि वह शहाबुद्दीन के साथ हो रही नाइंसाफी के खिलाफ ज़ारी इस मुहीम को अपना सहयोग दें। साथ ही हरदिल अज़ीज़ और सिवान की अवाम के साहेब की जल्द से जल्द रिहाई का रास्ता निकालें ताकि अल्पसंख्यकों के बीच पनप रहे गुस्से को विराम लगाया जा सके और सरकार पर अल्पसंख्यकों का विश्वास और एतबार बना रह सके।

               

1 टिप्पणी:

  1. इस बात में दम नही है क़ी लालू यादव की सियासत की नैया के खेवनहार शहाबुद्दीन ही थे, शहाब सिर्फ सिवान की राजनीती में अपनी पैठ रखते है वो सिर्फ मुश्लिमो की राजनीती करते है..ये भी सच है की लालू यादव को आज अपने बेटों की चिंता ज्यादा है लेकिन इस बात से शहाब को कैसे खतरा हो सकता है..?? शहाब कभी लालू के वारिस नही हो सकते फिर चाहे शहाब कितने भी बड़े नेता न हो जाएं।।

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